Saturday, 4 July 2020

Lori sunaye gaura maiya

                                   

लोरी सुनाये गौरा मैया,
झूला झूले गजानन,
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया,
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया,
झूला झूले गजानन
लोरी सुनाये गौरा मैया,
झूला झूले गजानन,

शिव शंकर का डमरू बाजे,
नारद नाचे नंदी नाचे,
ठंडी ठंडी चले पुरवैया,
ठंडी ठंडी चले पुरवैया,
झूला झूले गजानन,
लोरी सुनाये गौरा मैया,
झूला झूले गजानन,

कोई पीताम्बर पहनाए,
आँखों में कोई कजरा लगाए,
लागे न देवा तुमो नजरिया,
लागे न देवा तुमको नजरिया,
झूला झूले गजानन,
लोरी सुनाये गौरा मैया,
झूला झूले गजानन,

मंगल गीत यहाँ देवियां गाए,
सुर नर मुनि सब पर्व मनाये,
खुश है निरंजन सारी दुनिया,
खुश है निरंजन सारी दुनिया,
झूला झूले गजानन,
लोरी सुनाये गौरा मैया,
झूला झूले गजानन,

लोरी सुनाये गौरा मैया,
झूला झूले गजानन,
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया,
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया,
झूला झूले गजानन 

Monday, 15 June 2020

Namo Namo Hey Shankara

                                      Namo Namo Hey Shankara


जय हो जय हो शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
आदि देव शंकरा
हे शिवाय शंकरा
तेरे जाप के बिना
भोलेनाथ शंकरा
चले ये सांस किस तरह
हे शिवाय शंकरा

मेरा कर्म तू ही जाने
क्या बुरा है क्या भला
तेरे रास्ते पे मैं तो
आँख मूँद के चला

तेरे नाम की जोत ने
सारा हर लिया तमस मेरा

नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
जय त्रिलोकनाथ शम्भू
हे शिवाय शंकरा

नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा

सृष्टि के जनम से भी
ओ..
पहले तेरा वास था
ओ..
ये जग रहे या ना रहे
ओ..
रहेगी तेरी आस्था
ओ..

क्या समय.. क्या प्रलय
दोनों में तेरी महानता
महानता.. महानता..

सीपियों की ओंट मैं
भोलेनाथ शंकरा
मोतियाँ हो जिस तरह
हे शिवाय शंकरा
मेरे मन में शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
तू बसा है उस तरह
हे शिवाय शंकरा

मुझे भरम था जो है मेरा
था कभी नहीं मेरा
अर्थ क्या निरर्थ क्या
जो भी है सभी तेरा
तेरे सामने है झुका
मेरे सर पे हाथ रख तेरा

नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
जय त्रिलोकनाथ शम्भू
हे शिवाय शंकरा

नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा

चन्द्रमा ललाट पे
भस्म है भुजाओं में
वस्त्र बाघ छाल का
है खडाऊ पाँव में

प्यास क्या और तुझे
गंगा है तेरी जटाओं में
जटाओं में
जटाओं में
जटाओं में

दूसरों के वास्ते
भोलेनाथ शंकरा
तू सदैवे है जिया
हे शिवाय शंकरा
माँगा कुछ कभी नहीं
भोलेनाथ शंकरा
तूने सिर्फ है दिया
हे शिवाय शंकरा

समुद्र मंथन का था समय जो आ पड़ा
द्वंद दोनों लोक में विशामृत पे था चिड़ा
अमृत से भी मैं बाँट के
प्याला विष का तूने खुद पिया

नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
हे त्रिलोकनाथ शम्भू
हे शिवाय शंकरा

नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा

नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
हे त्रिलोकनाथ शम्भू
हे शिवाय शंकरा

नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा

Hanuman ko khush karna aasaan hota hai

                                         Hanuman ko khush karna aasaan hota hai

हनुमान को खुश करना आसान होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता ह।
सिन्दूर चढाने से हर काम होता है,a
सिंदूर चढाने से हर काम होता ह।

हनुमान को खुश करना आसान होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता ह।
सिन्दूर चढाने से हर काम होता है,
सिंदूर चढाने से हर काम होता ह।

हनुमान को खुश करना आसान होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता ह।

करले भजन दिल से हनुमान प्यारे का(२)
जिसको भरोसा है अंजनी दुलारे का (२)

वहा आंनद है जहा इनका गुणगान होता है,
वहा आंनद है जहा इनका गुणगान होता ह।

सिन्दूर चढाने से हर काम होता है,
सिंदूर चढाने से हर काम होता ह।
हनुमान को खुश करना आसान होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता ह।

हनुमान के जैसा कोई देव ना दूजा,
हनुमान के जैसा कोई देव ना दूज।

सबसे बड़ी जग में हनुमान की पूजा,
सबसे बड़ी जग में हनुमान की पूजा।
वो घर मंदिर जहाँ इनका सम्मान होता है,
वो घर मंदिर जहाँ इनका सम्मान होता ह।

सिन्दूर चढाने से हर काम होता है,
सिंदूर चढाने से हर काम होता ह।
हनुमान को खुश करना आसान होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता ह।

श्री राम के आगे पूरा जोर है इनका,
श्री राम के आगे पूरा जोर है इनक।

बनवारी दुनिया में अब शोर है इनका,
बनवारी दुनिया में अब शोर है इनका।

जो मुँह मोड हनुमत से परेशान होता है,
जो मुँह मोड हनुमत से परेशान होता है।

सिन्दूर चढाने से हर काम होता है,
सिंदूर चढाने से हर काम होता ह।
हनुमान को खुश करना आसान होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता ह।










Friday, 12 June 2020

Chham chham nachen dekho veer hanumana

मनोजवं मारुत तुल्य वेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतम शरणम प्रपद्ये
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना [२] कहते हैं लोग इन्हे राम का दीवाना, छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना
राम राम सिया राम [२]
पांव में घुंघुरे बांध के नाचें [२] राम जी का नाम इन्हे प्यारा लागे [२] राम जी ने देखो इन्हे खूब पहचाना, छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना
जहाँ जहाँ कीर्तन होता श्री राम का [२] लगता है पहरा वीर हनुमान का, रामजी के चरणों में।।।। रामजी के चरणों में इनका ठिकाना, छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना
नाच नाच के राम को दिखाएँ [२] बनवारी रात दिन नाचता ही जाये [२] बलिहारी जाऊं इनके ।।। बलिहारी जाऊं इनके  चरणों में ठिकाना,
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना, कहते हैं लोग इन्हे राम का दीवाना, छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना

Salasar ke mandir me hanuman biraje re

नगाड़ा बाजे रे नगाड़ा बाजे रे, ओह थारे झांझ नगाड़ा बाजे रे, सालासर के मंदिर में हनुमान बिराजे रे [२]
भारत राजस्थान में जी सालासर है एक धाम, सूरज स्वामी बण्यो देवरो महिमा अपरम पार, थारे लाल ध्वजा फहराए रे, सालासर के मंदिर में हनुमान बिराजे रे
जेठ सुधि पूनम को मेल्यो भीड़ लगे अति भारी [२] हो नर नारी थारा दर्शन करने आवे बारी बारी, हो बाबा सबके काज सवारे रे, सालासर के मंदिर में हनुमान बिराजे रे
राम दूत अंजनी के सुत का धरो हमेशा ध्यान [२] मनीष भी चाकर चरणों का लाज रखो हनुमान, बाबा बेडा पार लगा दे रे, सालासर के मंदिर में हनुमान बिराजे रे

Tapasi ka vesh dhar ke bhagwan van chale, dekha pita ne roop to aansu nikal pade

तपसी का वेश धरके, भगवन वन चले [२]
देखा पिता ने रूप तो आंसू निकल पड़े [२]
रथ में बिठा के राम को चल तो दिए सुमंत [२]
खींची जो रास रोस में, घोड़े मचल पड़े [२]
तपसी का वेश धरके, भगवन वन चले [२]
छोड़ा लोगों के घर को, प्रभु के संग चले [२]
रोका जब सबको राम ने, सब जान रो पड़े [२]
तपसी का वेश धरके, भगवन वन चले [२]
देखा पिता ने रूप तो आंसू निकल पड़े [२]

Tuesday, 9 June 2020

Yashomati maiya se bole nandlala

यशोमती मैया से बोले नंदलाला
यशोमती मैया से बोले नंदलाला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला
राधा क्यों गोरी में क्यों काला

हो... यशोमती मैया से बोले नंदलाला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला

बोली मुस्काती मैया ललन को बताया
बोली मुस्काती मैया ललन को बताया
कारी अंधियारी आधी रात में तू आया
लाडला कन्हैया मेरा हो ...
लाडला कन्हैया मेरा, काली कमली वाला
इसीलिए काला

यशोमती मैया से बोले नंदलाला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला

बोली मुस्काती मैया, सुन मेरे प्यारे
बोली मुस्काती मैया, सुन मेरे प्यारे
गोरी-गोरी राधिका के नैन कजरारे
काले नैनों वाली ने हो ...
काले नैनों वाली ने, ऐसा जादू डाला
इसीलिए काला

यशोमती मैया से बोले नंदलाला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला

Friday, 5 June 2020

Govind Govind Hey Gopal Bhajan [ Vanshiwale mai sadke tere naam ko naam le koi dil nu karar aa gaya]

वंशीवाले मैं सदके तेरे नाम को [२] नाम ले तोहि दिल नू करार आ गया [ नाम जिस वक्त मेने लिया आपका, आप मेरे हुए मैं हुआ आपका ]
पैदा हिरदय के अंदर तड़प हो गयी [२] मेरी नस नस में कैसा खुमार आ गया [२]
दर्द काम हो गया दूर गम हो गया, चस्ने पुरनम हुयी, सर भी ख़म हो गया
दिले बज़दर दी धड़कन हुयी तेज़ तेज़, ओ वंशीवाले का शायद दयार आ गया [२]
वंशीवाले मैं सदके तेरे नाम को [२] नाम ले तोहि दिल नू करार आ गया
चरहु वेद पुराण अठारहो चौसठ तंत्र के मंत्र अराधे ३६० महाव्रत सय्यम मंगल यज्ञ पुरी पुरसारे
योग्यादी और व्रत उपासन श्री हरी दत्त सभी निरधारे, तीनहुँ लोकन के सगरे फल, श्री हरी नाम के ऊपर वारे
कृष्ण कृष्ण गोविन्द गोविन्द गोपाल नन्दलाल [२]

Sunday, 31 May 2020

Shree ram hare jai ram hare (New Ramayan)

श्री राम हरे जय राम हरे,
राम नाम में पारस मणि जो,राम नाम में पारस मणि जो,
लोहे को भी स्वर्ण करे,
श्री राम हरे जय राम हरे,(२)

भक्तो के भव तारक राम,
श्री राम जय राम जय जय राम,
दुस्टों के संघारक राम,
श्री राम जय राम जय जय राम

हरे रामा हरे रामा
हरे रामा हरे रामा,

जब भी नैन मुंदु ,जब भी नैन खोली,
श्री राम बोलो, जय श्री राम बोलो,

राम कृपानिधि , न्याय मूर्ति वे,
सब की झोली भरते है,

राम को बिन जाने ही,लोग व्यर्त ही शंका करते है,
राम को वो उस रूप में पाए,(२)
जो जिस नाम से दयँ धरे,

श्री राम हरे जय राम हरे,
श्री राम हरे जय राम हरे

भक्तो के भव तारक राम,
श्री राम जय राम जय जय राम,
दुस्टों के संघारक राम,
श्री राम जय राम जय जय राम

हरे रामा हरे रामा
हरे रामा हरे रामा,

जब भी नैन मुंदु ,जब भी नैन खोली,
श्री राम बोलो, जय श्री राम बोलो,(2)

Monday, 25 May 2020

Mujhe Tumne Data Bahut Kuch Diya Hai Tera Shukriya Hai Tera Shukriya Hai

मुझे तुमने दाता बहुत कुछ दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है
ना मिलती अगर दी हुयी दात तेरी तो क्या थी ज़माने मे औकात मेरी
तुम्ही ने तो जीने के काबिल किया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है
मुझे तुमने दाता बहुत कुछ दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है
मुझे है सहारा तेरी बंदगी का है जिसपे गुजरा मेरी जिंदगी का
मिला मुझको जो कुछ तुम्ही से मिला है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है [२]
मुझे तुमने दाता बहुत कुछ दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है
किया कुछ ना मैंने शर्मसार हूँ मैं, तेरी रेहमतो का तलबगार हूँ मैं
दिया कुछ नहीं बस लिया ही लिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है [२]
मुझे तुमने दाता बहुत कुछ दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है
मिला मुझको जो कुछ बदौलत तुम्हारी मेरा कुछ नहीं सब है दौलत तुम्हारी
उसे क्या कमी जो तेरा हो लिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है
मुझे तुमने दाता बहुत कुछ दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है
मेरा ही नहीं तू सभी का है दाता, तू ही सब को देता तू ही है दिलाता
तेरा ही दिया मैंने खाया पिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है
मुझे तुमने दाता बहुत कुछ दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है

Sunday, 24 May 2020

rama rama ratate ratate beeti re umariya, raghukul nandan kab aaoge sabari ki jhopadiya

रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया [२] रघुकुल नंदन कब आओगे [२] शबरी की झोपड़िया
मैं भीलनी सबर की जाई भक्ति भाव नहीं जानू रे [२] राम तुम्हारे खातिर मैं तो वन में जीवन पालू रे
अब तो प्रभु जी मोहे दर्शन दे दो, के ले लो दासी की खबरिय।  रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया
रोज सबेरे उठ कर मैं तो रस्ता साफ़ कर आती हूँ, अपने प्रभु के खातिर मैं तो चुन चुन के फल लाती हूँ
मीठे मीठे बेरन की भर लायी रे छपरिया, रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया
श्याम सलोनी सूरत मैं तो नयनन बीच बसाउंगी, प्रभु चरनन की रज धार सर पे चरनन शीश झुकाऊँगी
चरण कमल से निर्मल करदो दासी की झुपड़िया
रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया [२] रघुकुल नंदन कब आओगे [२] शबरी की झोपड़िया 

Thursday, 21 May 2020

Tera pal pal beeta jaye mukh se jap le namah shivay by shree Mridul Krishna Shastri ji Maharaj

Tera pal pal beeta jaye mukh se jap le namah shivay by shree Mridul Krishna Shastri ji Maharaj

तेरा पल पल बीता जाये मुख से जप ले नमः शिवाय (४)
ओम नमः शिवाय (8)
शिव शिव तुम ह्रदय से बोलो, मन मंदिर का पर्दा खोलो (४)
अवसर खाली न जाये मुख से जप ले नमः शिवाय, तेरा अवसर खाली न जाये मुख से जप ले नमः शिवाय 
तेरा पल पल बीता जाये मुख से जप ले नमः शिवाय (२)
ओम नमः शिवाय(४)
तेरा पल पल बीता जाये मुख से जप ले नमः शिवाय (४)
ओम नमः शिवाय (२)
मुसाफिरी जब पूरी होगी चलने की मज़बूरी होगी (४)
पिंजरा प्राण रह जाये मुख से जप ले नमः शिवाय, तेरा पिंजरा प्राण रह जाये मुख से जप ले नमः शिवाय (२)
शिव पूजन में मस्त बने जा भक्ति सुधा रस पान किये जा (४)
दर्शन विस्वनाथ के पाए मुख से जप ले नमः शिवाय (४)
तेरा पल पल बीता जाये मुख से जप ले नमः शिवाय (४)
ओम नमः शिवाय (२)
तेरा पल पल बीता जाये मुख से जप ले नमः शिवाय (४)
ओम नमः शिवाय (२)

Saturday, 16 May 2020

Mujhe apne hi rang mein rang le, mere yaar saavre

मुझे अपने ही रंग में रंग ले मेरे यार सावरे [२] मेरे यार सावरे, दिलदार सावरे [२]
ऐसा रंग तू रंग दे सावरिया, जो उतरे न जनम जनम तक, नाम तू अपना लिख दे कन्हैया, मेरे सारे बदन पर [२]
मुझे अपना बना के देखो [२] एक बार सावरे ।। [२] मेरे यार सावरे दिलदार सावरे
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया, बिना रंगाये मैं तो घर नहीं जाउंगी, बीत ही जाये चाहे सारी उमरिया
हरी न रंगाऊ मैं तो पीली न रगाउंगी अपने ही रंग में रंग दे सावरिया, अरे ऐसी रंग दे की रंग नाही छूटे धोबिया धोये चाहे सारी उमरिया
जो नाही रंगो तो मोल ही मगाये दो [२] ब्रज में खुली है प्रेम बजरिया या चुनरी को ओड के मैं जमुना पे जाउंगी श्याम की मोपे पड़ेगी नजरिया [२]
मेरी जीवन की नैया ले जा उस पार सावरे
भवसागर में ऐ मनमोहन मांझी बनकर आना ना भटकूं इधर उधर ऐ प्यारे, मुरली मधुर बजाना [२]
मेरी जीवन की नैया ले जा उस पार सावरे
मुझे अपने ही रंग में रंग ले मेरे यार सावरे [२] मेरे यार सावरे
रैन चढ़ी रसूल की रंग मौला के हाथ, तूने जिसकी चुनरी रंगदीनी रे धन धन उसके भाग
जो तू मांगे रंग की रंगाई तो मेरा जोवन गिरबी रखले पर अपनी पगड़िया मोरी चुनरिया एक ही रंग में रंग ले
ऐरे रंग तेरी आशिकी जरूर कुछ लाएगी मुझे मार डालेगी या जीना सिखाएगी
दुनिया के रंग मिटादेगी मुझमेँसे रंग तेरे प्यार का  ये मुझपे चढ़ाएगी
मुझे अपना बनाके देखो एक बार सावरे
मुझे अपने ही रंग में रंग ले मेरे यार सावरे [२] मेरे यार सावरे
प्रीत लगाना प्रीतम ऐसी जो निभ जाये मरते दम तक इसके सिवा ना तुझ से माँगा ना कुछ चाहा अबतक
मेरे कान्हा तुम बिन जीना, बनवारी तुमबिन जीना बेकार सावरे, मेरे यार सावरे, दिलदार सावरे

Monday, 11 May 2020

Shyam tere kaam bade achraj bhare,krishna gopal govind madhav hare

श्याम तेरे काम बड़े अचरज भरे [२] कृष्ण गोपाल गोविन्द माधव हरे [२]
नाथ तू तो जनम का चोर है तेरी लीला का ओर न छोर है
आधी रात को चोरी चोरी बंदीगृह में आया चोरी चुपके सबसे चुपके गोकुल धाम को धाया
अपने ही घर चोरी करके माखन तूने खाया, हो--- और फिर चोरी करना सारे ग्वालो को सिखलाया
अरे हो ----- जमुना के तट पे सखियों के तूने चीर चुराए, ढीठ अनाड़ी, छलिया झूठा प्रेम की ग्वाली खाये
सखियों ने, तेरी सखियों नाम तेरे क्या क्या धरे, चोरी करे और बरजोरी करे, कृष्ण गोपाल गोविन्द माधव हरे [२] श्याम तेरे काम बड़े अचरज भरे
अरे हो ------ नाग कालिया को मथ डाला फन पे किआ तूने नर्तन, ब्रज की रक्षा हेतु उठा लिया ऊँगली पे गोवर्धन
औ जय जय गोवर्धन गिरधारी [२] इन्द्र और ब्रम्हा के मान भी हरे [२] कृष्ण गोपाल गोविन्द माधव हरे [२] श्याम तेरे काम बड़े अचरज भरे
की बल रूप में माखन लीला, भक्तों का हृदय रिझाने को, छछिया भर छाछ पे नाच उठे ममता को मोल चुकाने को, बरसाने वाली राधा से मन बांधा रस बरसाने को, दो अमर प्रेमी धरती पे मिले यहाँ प्रेम की जोत जगाने को
इक जसोदा को फूल गुलाबी [२] इक वृषभान की काची कली मनमोहन लला मनभावनी लली, ओ मनमोहन लला मनभावनी लली
इक माखन हो इक माखन इक मिश्री की डली मनमोहन लला मनभावनी लली, ओ मनमोहन लला मनभावनी लली
कोई न जाने कोई न बुझे [२] इनमे कबकी प्रीत पली , मनमोहन लला मनभावनी लली
श्याम तेरे काम बड़े अचरज भरे, कृष्ण गोपाल गोविन्द माधव हरे [२]

Thursday, 7 May 2020

Naman karo sweekar putra ka,hey mata maharani

नमन करो स्वीकार पुत्र का हे माता महारानी, नमन करो स्वीकार पुत्र का राजा राम की रानी, रावण की लंका में सुनाऊ तुमको राम कहानी
कथा यह पुण्य प्रसंगा है [२] तन मन पावन करने वाली भगवत गुण गंगा है, राम कौशल्या ने जाये, मात कौशल्या ने जाये, त्रिभुवन तीनो भ्रात संग दशरथ के घर आये, भये प्रगट कृपाला दीन दयाला आनंद जग छाये
राम भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न चारो कुमारो  ने गुरु वशिष्ठ से अल्प काल में ही सारी विद्याये सीख लीं
महाराज जनक की कन्या बनकर प्रगटी महालक्ष्मी सीता
आराध्य शम्भू का धनुष तोड़ सीता को रघुवर ने जीता
बन गए सिया वर राम चंद्र हुई सिया राम की परनीता
मिथिला और अयोध्या में जीवन कुछ दिन सुख से बीता
फिर श्री राम के राज तिलक की आयी तिथि वरदानी [२] रावण की लंका में सुनाऊ तुमको राम कहानी
मंथरा कैकयी की दासी [२] उसके कुचक्र ने अमावस में बदली पूरनमासी
सभी वर कैकयी ने मांगे, के दो वर दशरथ से मांगे, रखने को पिता का मान राम ने राजमहल त्यागे
वन चले राम सिया लखन कथा सुनलो माता आगे
चित्रकूट में भरत मिलाप हुआ, माता की करनी पे पुत्र को पश्चाताप हुआ
चित्रकूट से आ गए गोदावरी के तीर, राम लखन सिया आ गए गोदावरी के तीर, माया मृग को देख कर सीता हुई अधीर
राम मृग के पीछे धाये, स्वर्ण मृग के पीछे धाये, मारीच का था षड़यंत्र दूर रघुवर को ले जाये, माया मृग का षड़यंत्र दूर रघुवर को ले जाये
लाभ अवसर से उठाया है [२] रावण कर सीता हरण उन्हें लंका ले आया है, छल बल से करके हरण उन्हें लंका ले आया है
शत योजन पार कर, सुरसा सिंघिका लंकिनी को मारके ये राम दूत राम कृपा से तुम तक पहुंच पाया है
श्री राम शीघ्र सेना लेकर लंका में आने वाले हैं, रावण का वध कर सुर नर मुनि के कष्ट मिटने वाले हैं, ये दिवस प्रतीक्षा के माता धीरज से बिताने वाले हैं सन्मान सहित श्री राम संग तुमको ले जाने वाले हैं भेजी है मुद्रिका तुम्हारी परिचित और पहिचानी, भेजी है मुद्रिका तुम्हारी परिचित और पहिचानी
रावण की लंका में सुनाऊ तुमको राम कहानी

Jab mile taar se taar kyu na mile Kanhaiya

Friday, 11 October 2019

Shiv Shankar ko jisne puja, uska hi uddhar hua



शिव संकर को जिसने पूजा, उसका ही उध्दार हुआ (२)
अंत काल के भव सागर में, उसका बेडा पर हुआ।

भोले संकर की पूजा करो,
दयान चरणों में इसके धरो।

हर हर महादेव शिव शम्भु,
हर हर महादेव शिव शम्बू

डमरू वाला है जग में दयालु बड़ा,
दीनदुखियों का दाता जगत का पिता,
सब पर करता है ये भोला संकर दया,
सब को देता है ये आसरा।

इन पावन चरणों में अर्पण, आकर जो एक बार हुआ,
अंत काल के भव सागर में उसका बेडा पार हुआ।

ॐ नमः शिवाय, हरी ॐ नमः शिवाय।

हर हर महादेव शिव शम्भु,
हर हर महादेव शिव शम्बू

नाम ऊँचा है सबसे महादेव का,
वंदना इनकी करते है सब देवता
इनकी पूजा से वरदान पाते है सब,
शक्ति का दान पाते है सब।

नाग असुर प्राणी सब पर ही, भोले का उपकार हुआ,
अंत काल के भव सागर में, उसका बेडा पार हुआ

शिव संकर को जिसने पूजा, उसका ही उध्दार हुआ।
अंत काल के भव सागर में, उसका बेडा पार हुआ

भोले संकर की पूजा करो,
दयान चरणों में इसके धरो।

शिव संकर को जिसने पूजा, उसका ही उध्दार हुआ।
अंत काल के भव सागर में, उसका बेडा पार हुआ

Durga hai meri Maa, ambe hai meri maa



दुर्गा है मेरी माँ, अम्बे है मेरी माँ
दुर्गा है मेरी माँ, अम्बे है मेरी माँ

बोलो जय माता दी, जय हो
बोलो जय माता दी, जय हो
जो भी दर पे आए, वो खाली न जाए
सबके काम है करती, सबके दुख ये हरती

मैया शेरोवाली, भरदो झोली खाली
मैया शेरोवाली, भरदो झोली खाली, जय हो

दुर्गा है मेरी माँ, अम्बे है मेरी माँ
दुर्गा है मेरी माँ, अम्बे है मेरी माँ
मेरी माँ शेरोवालिये

पूरे करे अरमान जो सारे, देती है वरदान जो सारे
देती है वरदान जो सारे, दुर्गे…ज्योतावालिये
देती है वरदान जो सारे
दुर्गा है मेरी माँ अम्बे है मेरी माँ

सारे जग को खेल खिलाये, बिछड़ो को जो खूब मिलाये
बिछड़ो को जो खूब मिलाये
दुर्गे………।शेरोवालिये
बिछड़ो को जो खूब मिलाये, दुर्गा है मेरी माँ अम्बे है मेरी माँ

दुर्गा है मेरी माँ, अम्बे है मेरी माँ
दुर्गा है मेरी माँ, अम्बे है मेरी माँ
शेरोवालिये…ज्योतावालिये…।
शेरोवालिये…

Sharan teri aau maa, haa bali bali jaau maa



शरण तेरी आऊँ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ
भजन तेरे गाऊँ माँ, मगन हो जाऊँ माँ

शरण तेरी आऊँ माँ
हाँ बलि बलि जाऊँ माँ ||

ऊँचे भवन पर  बैठी, अम्बे के भवानी माँ
जिनके दरश की है ये, दुनिया दीवानी माँ
दरश तेरे पाऊँ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ
भजन तेरे गाऊँ माँ, मगन हो जाऊँ माँ

शरण तेरी आऊँ माँ
हाँ बलि बलि जाऊँ माँ ||

भीड़ लगी रहती है, माँ तुम्हारे द्वारे
आते जाते गूंजते है, तेरे माँ जयकारे
जयकारा लगाऊँ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ
भजन तेरे गाऊँ माँ, मगन हो जाऊँ माँ

शरण तेरी आऊँ माँ
हाँ बलि बलि जाऊँ माँ ||

लाल पट्टी बांधे सर पे, आ रही है टोलियाँ
ला रहे मुरादो वाली, भर भर के झोलियाँ
ये अर्जी सुनाऊ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ
भजन तेरे गाऊँ माँ, मगन हो जाऊँ माँ

शरण तेरी आऊँ माँ
हाँ बलि बलि जाऊँ माँ ||

बेनाम जग के ये रूठे, माँ कभी ना रूठे
आदि शक्ति जग जननी का, दर कभी ना छूटे
यही रम जाऊँ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ
भजन तेरे गाऊँ माँ, मगन हो जाऊँ माँ

शरण तेरी आऊँ माँ
हाँ बलि बलि जाऊँ माँ ||

शरण तेरी आऊँ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ
भजन तेरे गाऊँ माँ, मगन हो जाऊँ माँ

शरण तेरी आऊँ माँ
हाँ बलि बलि जाऊँ माँ ||

Thursday, 10 October 2019

Mera shyam aa jata mere samne


मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने।

शाम सवेरे देखु तुझको, कितना सुन्दर रूप है।
तेरा साथ है ठंडी छाया, बाकि दुनिया धुप है।
जब जब भी इसे पुकारू में, तस्वीर इसकी निहारु में।

ओ मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,

खुश हो जाए अगर सावरिया, किस्मत को चमका देता है,
हाथ पकड़ ले अगर किसी का, जीवन स्वर्ग बना देता है,
ये बाते सोच वीचारु में, तस्वीर को इसकी निहारु में।

ओ मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,

मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने।
शाम सवेरे देखु तुझको, कितना सुन्दर रूप है।
तेरा साथ है ठंडी छाया, बाकि दुनिया धुप है।
जब जब भी जग से हारु में, तस्वीर को इसकी निहारु में।

ओ मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,

गिरने से पहले से ही आकर, बाबा मुझे संभालेगा,
पूरा है विश्वास हमको, तूफानों से निकलेगा।
ये तन मन तुझपे वारु में, तस्वीर को इसकी निहारु में।

ओ मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,

मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने।
शाम सवेरे देखु तुझको, कितना सुन्दर रूप है।
तेरा साथ है ठंडी छाया, बाकि दुनिया धुप है।
जब जब भी इसे पुकारू में, तस्वीर इसकी निहारु में।

Kabhi ram ban ke kabhi shyam ban ke,chale aana prabhu ji chale aana



कभी राम बनके कभी श्याम बनके, चले आना प्रभुजी चले आना।(२)

तुम राम रूप में आना, तुम राम रूप में आना,
सीता साथ लेके, धनुष हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना।

कभी राम बनके कभी श्याम बनके, चले आना प्रभुजी चले आना।(२)

तुम श्याम रूप में आना, तुम श्याम रूप में आना,
राधा साथ लेके, मुरली हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना।

कभी राम बनके कभी श्याम बनके, चले आना प्रभुजी चले आना।(२)

तुम शिव के रूप में आना, तुम शिव के रूप में आना,
गौरा साथ लेके, डमरू हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना।

कभी राम बनके कभी श्याम बनके, चले आना प्रभुजी चले आना।(२)

तुम विष्णु रूप में आना, तुम विष्णु रूप में आना,
लष्मी साथ लेके, चक्र हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना।

कभी राम बनके कभी श्याम बनके, चले आना प्रभुजी चले आना।(२)

तुम गणपति रूप में आना, तुम गणपति रूप में आना,
रिद्धि साथ लेके, सिद्धि साथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना।

कभी राम बनके कभी श्याम बनके, चले आना प्रभुजी चले आना।(२)

Bhajle hari ko ek din to hai jaana


भजले हरी को एक दिन तो है जाना।(२)
जीवन को यदि सफल बनाना,
भजले हरी को एक दिन तो है जाना।

किसका गुमान करे, कुछ भी न तेरा।(२)
दो दिन का है ये रेन बसेरा,
दो दिन का है ये रेन बसेरा।
खाली हाथ आया है और खाली हाथ जाना।

भजले हरी को एक दिन तो है जाना।(२)

पांच तत्त्व की बानी तेरी काय (२)
काय में तेरे हरी हाउ समाया,(२)
उसे ढूंढ़ने के लिए नहीं  दूर जाना,

भजले हरी को एक दिन तो है जाना।(२)

ये धन दौलत माल खज़ाना,
ये धन दौलत माल खज़ाना,
जिसपे हुआ है तू इतना दीवाना,
जिसपे हुआ है तू इतना दीवाना।
आज है तेरा, कल का नहीं है ठिकाना

भजले हरी को एक दिन तो है जाना।(२)

हरी नाम की एक ज्योति जगा ले,
हरी नाम की एक ज्योति जगा ले,
जो कुछ किआ है उसे तू भूक दे,
जो कुछ किआ है उसे तू भूक दे।
दस कहे अगर जो मुक्ति है पाना।

भजले हरी को एक दिन तो है जाना।(२)

Wednesday, 9 October 2019

Man mathura aur tan vrindavan



मन मथुरा और तन वृन्दावन  (२)
नैन बहे यमुना जल पावन।

रोम रोम है गोपी ग्वाला
धड़कन जपति निस दिन माला

रोम रोम है गोपी ग्वाला
धड़कन जपति निस दिन माला।
वृन्दावन की कूंज गली के
प्राण तुम्ही तो हो नंदलाला।
साँसों में मुरली की सरगम,ये जीवन है तेरे कारण।

मन मथुरा और तन वृन्दावन  (२)
नैन बहे यमुना जल पावन।

हांड मॉस की इस हांड़ी में, प्रेम भक्ति का कर दो मंथन।
ये नवनीत तू चराने आना, दे जाना तू तेरा दर्शन।
मन कि मनके पिरो पिरो कर, निसदिन करती तेरा सुमिरन।

मन मथुरा और तन वृन्दावन  (२)
नैन बहे यमुना जल पावन।

Mere ganpati beda paar karo

                                    मेरे गणपति बेडा पार करो


ॐ गजाननाम ॐ गजाननाम
ॐ गजाननाम ॐ गजाननाम

मेरे गणपति बेडा पार करो
रास भक्ति का हर बार भरो।
मन मंदिर पावन हो जाए, मुझमे ऐसा ही ज्ञान भरो।

मेरे गणपति बेडा पार करो
ॐ गजाननाम ॐ गजाननाम
ॐ गजाननाम ॐ गजाननाम

तुमने ही श्रुस्ती सजाई है, जन जन की कली खिलाई है।
सुख दुःख में तुम ही सहायक हो, विग्नेश तुम्ही विनायक हो।

में जय जय कार करू तेरी,
पथ मेरा कुछ आसान करो।

मेरे गणपति बेडा पार करो
ॐ गजाननाम ॐ गजाननाम
ॐ गजाननाम ॐ गजाननाम

मुझे और सहारा कोई नहीं,तुम स्वामी हो तुम दाता हो।
मेरी बिगड़ी किस्मत के गणपति, बस तुम ही एक विधाता हो।

जग की चिंता हरने वाले, अब मेरा भी उद्धार करो।

मेरे गणपति बेडा पार करो
ॐ गजाननाम ॐ गजाननाम
ॐ गजाननाम ॐ गजाननाम

मेरे गणपति बेडा पार करो
रास भक्ति का हर बार भरो।
मन मंदिर पावन हो जाए, मुझमे ऐसा ही ज्ञान भरो।

Man mera Mandir, Shiv meri puja



ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय

मन मेरा मंदिर शिव मेरी पूजा,
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा,
बोल सत्यम शिवम् बोल तू सुंदरम।
मन मेरे शिव की महिमा के गुण गाए जा।

मन मेरा मंदिर शिव मेरी पूजा,
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा।

सती जब सीता बन कर श्री राम के सम्मुख आई।
राम उनको माता कहकर शिव जी की महिमा गाए।
शिव भक्ति में सब कुछ सुजा, शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा।

बोल सत्यम शिवम्,बोल तू सुंदरम  मन मेरे शिव की महिमा के गुण गाए जा,

तेरी जटा से निकली गंगा और गंगा ने भीष्म दिए।
तेरे भक्तो की शक्ति ने सारे जगत को जीत लिए।
तुझको सब देवो ने पूजा,शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा।

बोल सत्यम शिवम्,बोल तू सुंदरम  मन मेरे शिव की महिमा के गुण गाए जा,

मन मेरा मंदिर शिव मेरी पूजा,
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा,
बोल सत्यम शिवम् बोल तू सुंदरम।
मन मेरे शिव की महिमा के गुण गाए जा।

Ek baar maa aa jaao, phir aa ke chali jaana

                                        एक बार माँ आ जाओ, फिर आ के चली जाना


एक बार माँ आ जाओ, फिर आ के चली जाना। (२)
हमे दर्श दिखा जाओ, दिखला के चली जाना।

एक बार माँ आ जाओ, फिर आ के चली जाना। (२)

तुमको मेरी गीतों का संगीत बुलाए माँ,
संगीत बुलाए माँ,संगीत बुलाए माँ,
कुछ मेरी सुन जाओ, कुछ अपनी सुना जाना

एक बार माँ आ जाओ, फिर आ के चली जाना। (२)

क्या मेरे तड़पने का एहसास नहीं तुमको,(२)
एहसास नहीं तुमको
किस बात पे रूठी हो, इतना तो बता जाना।

एक बार माँ आ जाओ, फिर आ के चली जाना। (२)

अंखिया मेरी रोती माँ, इन्हे धीर बंधा जाओ।(२)
इन्हे धीर बंधा जाओ।
मजधार में है नैया, इसे पार लगा जाना।

एक बार माँ आ जाओ, फिर आ के चली जाना। (२)

जब जब भी बुलाओ माँ, दौड़ा चला आउ में।(२)
अगर राह बातक जाऊ, रस्ता तो दिखा जाना।

एक बार माँ आ जाओ, फिर आ के चली जाना। (२)
हमे दर्श दिखा जाओ, दिखला के चली जाना।

एक बार माँ आ जाओ, फिर आ के चली जाना। (२)
हमे दर्श दिखा जाओ, दिखला के चली जाना।


Paar na lagoge shree ram ke bina, ram na milenge hanuman k bina

                                 पार न लगोगे श्री राम के बिना, राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना

पार न लगोगे श्री राम के बिना, राम न मिलेंगे हनुमान के बिना। (२)
राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना, श्री राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना।

वेदो ने पुराणों कह डाला, राम जी का साथी बजरंग बाला।(२)
जिए हनुमान नहीं राम के बिना, श्री राम भी रहे ना हनुमान के बिना।

पार न लगोगे श्री राम के बिना, राम न मिलेंगे हनुमान के बिना। (२)
राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना, श्री राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना।

जग के जो पालन हारे है, उन्हें हनुमान बड़े प्यारे है । (२) 
कर लो शिफारिश दाम के बिना, रास्ता ना मिलेगा हनुमान के बिना । (२) 

पार न लगोगे श्री राम के बिना, राम न मिलेंगे हनुमान के बिना। (२)
राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना, श्री राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना।

जिनका भरोसा वीर हनुमान, उनका बिगड़ता नहीं कोई काम। (२)
लक्का कहे सुनो हनुमान के बिना, कुछ ना मिलेगा गुणगान के बिना। (२)

पार न लगोगे श्री राम के बिना, राम न मिलेंगे हनुमान के बिना। (२)
राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना, श्री राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना।

Tuesday, 8 October 2019

आए ब्याहि रामु घर जब तें। बसइ अनंद अवध सब तब तें॥

आए ब्याहि रामु घर जब तें। बसइ अनंद अवध सब तब तें॥
प्रभु बिबाहँ जस भयउ उछाहू। सकहिं न बरनि गिरा अहिनाहू॥3॥

भावार्ब से श्री रामचन्द्रजी विवाह करके घर आए, तब से सब प्रकार का आनंद अयोध्या में आकर बसने लगा। प्रभु के विवाह में आनंद-उत्साह हुआ, उसे सरस्वती और सर्पों के राजा शेषजी भी नहीं कह सकते॥

Saturday, 5 October 2019

Barish ki cham cham mein tere dar pe aae hai Udit Narayan

बारिशों की छमछम में तेरे दर पे आये हैं [२]
मेहरा वाली मेहरान करदे झोलियाँ सब की भरदे [२]
बिजली कड़क रही है [२] थम थम के आएं हैं
मेहरा वाली मेहरान करदे झोलियाँ सब की भरदे [२]
कोई बूढ़ी माँ के संग आया कोई तनहा हुआ तैयार
कोई आया भक्तों की टोली में, कोई पूरा परिवार [२]
सबकी आँखें देख रहीं कब पहुचें तेरे द्वार
छोटे छोटे बच्चों को, संग लेके आये हैं, बारिशों की छमछम में तेरे दर पे आये हैं
मेहरा वाली मेहरान करदे झोलियाँ सब की भरदे [२]
काली घनघोर घटाओं से जम जम के बरसे पानी
आगे बढ़ते ही जाना है, भक्तों ने यही है ठानी
काली घनघोर घटाओं से जम जम के बरसे पानी
आगे बढ़ते ही जाना है, भक्तों ने यही है ठानी
सबकी आस यही है की मिल जाये तेरा प्यार
भीगी भीगी पलकों पे सपने सजाये हैं, बारिशों की छमछम में तेरे दर पे आये हैं
मेहरा वाली मेहरान करदे झोलियाँ सब की भरदे [२]
तेरे ऊँचे भवन पे माँ आंबे, रहते हैं लगे मेले
मीठा फल वो ही पाते हैं जो तकलीफे झेले [२]
दुःख पाके ही सुख मिलता है, भक्ति का ये सार
मैया तेरे दरश के दीवाने आये हैं, बारिशों की छमछम में तेरे दर पे आये हैं
मेहरा वाली मेहरान करदे झोलियाँ सब की भरदे [२]
रिमझिम ये बरस रहा पानी अमृत के लगे समान
इस अमृत में भीगे पापी तो बन जाये इंसान
रिमझिम ये बरस रहा पानी अमृत के लगे समान
इस अमृत में भीगे पापी तो बन जाये इंसान
करदे मैया रानी करदे हम पे भी उपकार
हमने भी जयकारे जम जम के लगाए हैं, बारिशों की छमछम में तेरे दर पे आये हैं
मेहरा वाली मेहरान करदे झोलियाँ सब की भरदे [२]

Friday, 4 October 2019

Chum Chum Chanan Chanan baaje maiya paun paijaniya

                                             छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया 


छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया
छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया

पाऊँ पैजनिया मैया पाऊँ पैजनिया
पाऊँ पैजनिया मैया पाऊँ पैजनिया

छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया
छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया

कौन गाढावे गाढावे मैया पाऊँ पैजनिया
कौन गाढावे गाढावे मैया पाऊँ पैजनिया
कौन उढ़ावे ओढ़निया, मैया पाऊँ पैजनिया

छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया
छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया

सोनरा गाढावे मैया पाऊँ पैजनिया,
सोनरा गाढावे मैया पाऊँ पैजनिया,
दरजी ओढावे ओढ़निया, ओ मैया पाऊँ पैजनिया

छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया
छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया

छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया
छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया

काइये चडादूं मैया पाऊँ पैजनिया
काइये चडादूं मैया पाऊँ पैजनिया
काइये ओढ़ाऊ चुनरिया मैया पाऊँ पैजनिया

छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया
छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया

दुर्गे चड़ाउ मैया पाऊँ पैजनिया
दुर्गे चड़ाउ मैया पाऊँ पैजनिया

लंगूर ोधादु ओढ़निया ओ मैया पाऊँ पैजनिया
लंगूर ोधादु ओढ़निया ओ मैया पाऊँ पैजनिया

छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया
छुम छुम छननन छननन बाजे मैया पाऊँ पैजनिया










Thursday, 26 September 2019

Sham savere dekhu tujho kitna sunder roop hai

                                             श्याम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है


श्याम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है,
श्याम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है,

तेरा साथ ठंडी च्चाया बाकी दुनिया धूप है,
तेरा साथ ठंडी छाया बाकी दुनिया धूप है,

जब जब भी इसे पुकारू मे, जब जब भी इसे पुकारू मे,
तस्वीर को इसकी निहारू मे, तस्वीर को इसकी निहारू मे,
जब जब भी इसे पुकारू मे, तस्वीर को इसकी निहारू मे,

ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,

खुस हो जाए अगर सावरिया किस्मत को चमका देता,
खुस हो जाए अगर सावरिया किस्मत को चमका देता,
हांत पाकर ले अगर किसी का जीवन स्वर्ग बना देता,
हांत पाकर ले अगर किसी का जीवन स्वर्ग बना देता,
यह बातें सोच विचारू मे, यह बातें सोच विचारू मे,
यह बातें सोच विचारू मे, तस्वीर को इसकी निहारू मे,
यह बातें सोच विचारू मे, तस्वीर को इसकी निहारू मे,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,

श्याम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है,
श्याम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है,
तेरा साथ है ठंडी छ्चया बाकी दुनिया धूप है,
जब जब भी जग से हारू मे, जब जब भी जाग से हारू मे,
जब जब भी जग से हारू मे, तस्वीर को इसकी निहारू मे,
जब जब भी जग से हारू मे, तस्वीर को इसकी निहारू मे,

ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,

गिरने से पहले से ही आकर बाबा मुझको संभाल लेगा,
पूरा है विस्वास है राज को तूफ़ानो से निकलेगा,
यह तन मॅन तुझपे वारू मे, यह तन मॅन तुझपे वारू मे
यह तन मॅन तुझपे वारू मे, तस्वीर को इसकी निहारू मे,

ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,

श्याम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है,
श्याम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है,
तेरा साथ ठंडी च्चाया बाकी दुनिया धूप है,
तेरा साथ ठंडी च्चाया बाकी दुनिया धूप है,
जब जब भी इसे पुकारू मे, जब जब भी इसे पुकारू मे,
तस्वीर को इसकी निहारू मे, तस्वीर को इसकी निहारू मे,
जब जब भी इसे पुकारू मे, तस्वीर को इसकी निहारू मे,

ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,
ओह मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने,

Tuesday, 27 August 2019

Teri baaki adaa ne oo savre

                                            तेरी बांकी अदा ने ओह सांवरे

तेरी बांकी अदा ने ओह सांवरे
मुझे तेरा दीवाना बनादिया

तेरी बांकी अदा ने ओह सांवरे
मुझे तेरा दीवाना बनादिया

तेरी बांकी अदा ने ओह सांवरे
मुझे तेरा दीवाना बनादिया

तेरा तेड़ा मुकुट तेरी टेडी छटा
तेरा बंक मुकुट तेरी बांकी छटा
तूने हमें भी आशिक़ बना दिया

तेरी बांकी अदा ने ओह सांवरे
मुझे तेरा दीवाना बनादिया

वृन्दावन वारे मेरे बनके बिहारी
तेरा रूप देख देख जाऊं वारी वारी

ओह पिया तुम्हारा रूप है
ये कैसा साहूकार

मेरे नैना गिरवी राख्लिये
जो दरश किया एक बार

वृन्दावन वाले मेरे बनके बिहारी
तेरा रूप देख देख जाऊँ वारी वारी

कैसा जादू कान्हा तेरी
इस रूप माधुरी मैं हैं

हो जो भी वृन्दावन आ जाता है
हो वो तो तेरा ही हो जाता है

उससे ध्यान किसी का ना रहता है
वो तो तेरे ही गुण फिर गता है

तेरी बांकी अदा ने ओह सांवरे
तेरी बांकी अदा ने ओह सांवरे
मुझे तेरा दीवाना बनादिया

तेरा प्यार है मेरी ज़िन्दगी
बस…


Mero laala jhule palna, nik haule jhota dijo

मेरो लाला झूले पलना, निक होले झोटा दीजो

निक होले झोटा दीजो, निक होले झोटा दीजो



मेरो लाला झूले पलना, निक होले झोटा दीजो

निक होले झोटा दीजो, निक होले झोटा दीजो



मथुरा में जाको जनम लियो है, मथुरा में जाको जनम लियो है

गोकुल में झूले पलना, निक होले झोटा दीजो ॥ मेरो लाला झूले पलना।।



काहे को याको बनो है पालनो, काहे को याको बनो है पालनो

काहे के लागे फूलना, निक होले झोटा दीजो॥ मेरो लाला झूले पलना ॥



रतन जरहित याको बनो है पालनो, रतन जरहित याको बनो है पालनो

रेशम के लागे फूलना, निक होले झोटा दीजो॥ मेरो लाला झूले पलना



चंद्र सखी भेज बाल कृष्णा छबी, चंद्र सखी भेज बाल कृष्णा छबी

चिरजीवो ये ललना, निक होले झोटा दीजो ॥ मेरो लाला झूले पलना ॥



मेरो लाला झूले पलना, निक होले झोटा दीजो

निक होले झोटा दीजो, निक होले झोटा दीजो

Monday, 26 August 2019

Kanha barsane me aai jaiyo,buale gai radha pyari

कान्हा बरसाने में आय जइयो बुलाय गयीं राधा प्यारी [२]

जब कान्हा रे तोहे भूख लगेगी [२] माखन मिश्री खाय जइयो [२] बुलाय गयीं राधा प्यारी 

कान्हा बरसाने में आय जइयो बुलाय गयीं राधा प्यारी

जब कान्हा रे तोहे प्यास लगेगी [२] ठंडा पानी पि जइयो [२] बुलाय गयीं राधा प्यारी 

कान्हा बरसाने में आय जइयो बुलाय गयीं राधा प्यारी

जब कान्हा रे तोहे ठण्ड लगेगी [२] काली कम्बलिया ले जइयो [२] बुलाय गयीं राधा प्यारी 

कान्हा बरसाने में आय जइयो बुलाय गयीं राधा प्यारी

जब कान्हा रे तो तोहे गर्मी लगेगी [२] मोर का पंखा ले जइयो बुलाय गयीं राधा प्यारी 

कान्हा बरसाने में आय जइयो बुलाय गयीं राधा प्यारी

जब कान्हा रे तोहे नींद लगेगी [२] मखमली गद्दे पे सोय जइयो बुलाय गयीं राधा प्यारी 

कान्हा बरसाने में आय जइयो बुलाय गयीं राधा प्यारी

Thanks #YouTube 

#Ambeybhakti

Mero khoye gayo baju band rasiya holi mein

मेरो खोय गयो बाजूबन्ध रसिया होली में [२]
होरी में कान्हा होरी में, मेरो खोय गयो बाजूबन्ध रसिया होली में

चूनर पे तेने मारी पिचकारी [२] श्याम रंग में कान्हा रंगी सारी [२]
बरसाने बरसे रंग कान्हा होरी में [२]

मेरो खोय गयो बाजूबन्ध रसिया होली में [२]

उधम कान्हा तेने खूब मचायो [२] सखियों कोस में नाच नचायो [२]
तेरी मुरली [२] बाजे संग देखो होरी में 

मेरो खोय गयो बाजूबन्ध रसिया होली में [२]

बाजूबन्ध मेरो बड़े ही मोल को [२] कहाँ ते लाऊ वाही तोल को [२]
तोपे बारू बाजूबन्ध [२] कान्हा होरी में 

मेरो खोय गयो बाजूबन्ध रसिया होली में [२]

तेरी मेरी प्रीत पुरानी [२] तुमने मोहन नाय पहिचानि [२]
मोहे ले चल [२] अपने संग कान्हा होरी में [२]

मेरो खोय गयो बाजूबन्ध रसिया होली में [२]

Kar do dur prabhu mere man mein andhera hai

कर दो दूर प्रभु मेरे मन में अँधेरा है [२]
जबसे तेरी लगन लगी, हुआ मन में सवेरा है

कर दो दूर प्रभु मेरे मन में अँधेरा है [२]

हरी तुमसे बिछुड़े हुए, कई युग बीत गए 
अब आन मिलो प्रियतम, मेरे मन में प्यार तेरा है 

कर दो दूर प्रभु मेरे मन में अँधेरा है [२]

इतना तो बता दो प्रभु, मेरी मंझिल है कहाँ 
अब ले चलो मुझको, जहाँ संतों का डेरा है 

कर दो दूर प्रभु मेरे मन में अँधेरा है [२]

दर्शन पाए बिना, दर से हटेंगे नहीं 
अब हमने तो डाल लिया, तेरे दर पे डेरा है

कर दो दूर प्रभु मेरे मन में अँधेरा है [२]

जबसे तेरी लगन लगी, मेरे मन की कलियाँ खिलीं 
अब जाग उठी किस्मत, हुआ दर्शन तेरा है

कर दो दूर प्रभु मेरे मन में अँधेरा है [२]

Friday, 23 August 2019

Booti hari ke naam ki sab ko pila ke pi

बूटी हरी के नाम की सब को पिला के पी 
पीने की है तमन्ना तो सबको पिला के पी [२]

ब्रम्हा ने चारो वेद की पुस्तक बना के पी [२] 
शंकर ने अपने शीश पर [२] गंगा चढ़ा के पी 

बूटी हरी के नाम की सब को पिला के पी 
पीने की है तमन्ना तो सबको पिला के पी [२]

ब्रज गोपियों ने कृष्ण को माखन खिला पी [२] 
शबरी ने झूठे बेर अपने [२] प्रभु को खिला के पी [२]

बूटी हरी के नाम की सब को पिला के पी 
पीने की है तमन्ना तो सबको पिला के पी [२]

पृथ्वी का भार शेष ने सिर पर उठा के पी [२]
बाली ने चोट वान की [२] सीने पे खाके पी [२] 

बूटी हरी के नाम की सब को पिला के पी 
पीने की है तमन्ना तो सबको पिला के पी [२]

अर्जुन ने ज्ञान गीता का अमृत बना के पी [२] 
मेने भी कृष्ण भक्तो को भागवत सुना के पी [२]

बूटी हरी के नाम की सब को पिला के पी 
पीने की है तमन्ना तो सबको पिला के पी [२]

O kanha ab to murli ki madhur suna to taan

                                                 ओ कान्हा अब तो मुरली की मधुर सुना तो तान

ओ कान्हा अब तो मुरली की मधुर सुना तो तान।
ओ कान्हा अब तो मुरली की मधुर सुना तो तान।

मैं हूँ तेरी प्रेम दिवानी,मुझको तु पहचान।
मधुर सुना दो तान।।

ओ कान्हा अब तो मुरली की मधुर सुना तो तान।

जब से तुम संग मैंने अपने नैना जोड़ लिये हैं 
क्या मैया क्या बाबुल सबसे रिश्ते तोड़ लिए हैं 

तेरे मिलन को व्याकुल हैं ये कबसे मेरे प्राण,मधुर सुना दो तान.. 
ओ कान्हा अब तो मुरली की मधुर सुना दो तान

सागर से भी गहरी मेरे प्रेम की गहराई,
लोक लाज कुल की मरियादा सज कर मैं तो आई 

मेरी प्रीती से ओ निर्मोही अब ना बनो अनजान मधुर सुना दो तान

ओ कान्हा अब तो मुरली की मधुर सुना दो तान 
मैं हूँ तेरी प्रेम दिवानी,मुझको तुम पहचान मधुर सुना दो तान.. मधुर सुना दो तान..



Tuesday, 20 August 2019

hey bhole hey bhole

                                                     हे भोले हे भोले
हे भोले हे भोले,शंकर पधारो,हे भोले संभु पधारो
बैठे छुप के कहा,जटा धारी पधारो
बैठे छूप के कहा,गंगा जटा में तुम्हारी

हो हो गंगा जटा में तुम्हारी
हम प्यासे यहाँ
महा  सती  के  पति
मेरी सुनो वंदना

हे भोले,शंकर पधारो

बोलो छुपे हो कहा
औ मुक्ति के दाता हो
औ मुक्ति के दाता हो

पड़ा संकट यहाँ
महा सती के पति
बोलो छुपे हो कहा
हे भोले

भगीरत को गंगा
प्रभु तूने दी थी
सदर जी के पुत्रो को मुक्ति मिली

निल कंत महादेव
हमे है भरोसा
इच्छा तुम्हारे बिन
कुछ भी न होता

हे भोले शम्भू पधारो
हे गौरी शंकर पधारो

किसने रोका वहाँ
औ भस्मः रमिया
सबको तज के यहाँ
औ भस्मःरमिया
सबको तज के यहाँ

हे भोले
मेरे तपस्या का
फल  चाहे लेलो
गंगा जल अब अपने
भक्तो को देदो

प्राण पखेरू कही
प्यासा उड़ जाये ना
कोई तेरे करुणा पे
उँगली उठाये ना

भिक्षा मैं मांगू
जन कल्याण की
भिक्षा मैं मांगू
जन कल्याण की
इच्छा करो पूरी

गंगा इस्नान की
अब ना देर करो
आके कस्ट हरो
मेरी बात रक् लो
मेरी लाज रक् लो

हे भोले विषधर पधारो
डोर टूट जाए ना
मेरा जग में
नहीं कोई तेरे बिना
मेरा जग में
नहीं कोई तेरे बिना
हे भोले                   

Shiv naam se hai jagat mein ujala, Hari bhakto ke hai mein shivala

                                          शिव नाम से हैं जगत में उजाला,हरी भक्तो के हैं मैं में शिवाला


शिव नाम से हैं जगत में उजाला
हरी भक्तो के हैं मैं में शिवाला

हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ, तीनो लोक में तू ही तू
श्रद्धा सुमन मेरा मैं बेल पतरी, जीवन भी अरपन कर दू (२)

हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ, तीनो लोक में तू ही तू

जग का स्वामी है तू अन्तर्यामी है
मेरे जीवन की अंतिम कहानी है तू
तेरी शक्ति अपार तेरा पावन है द्वार

तेरी पूजा ही मेरा जीवन आधार, धुल तेरे चरणों की लेकर
जीवन को साकार किया,
हे शम्भू बाबा,मेरे भोले नाथ तीनो लोक में तू ही तू

मन में है कामना और कुछ जानू न, ज़िन्दगी भर करू तेरी आराधना
सुख की पहचान दे तू मुझे ज्ञान दे
प्रेम सबसे करू ऐसा वरदान दे
तूने दिया बल निर्बल को, अज्ञानी को ज्ञान दिया

हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ, तीनो लोक में तू ही तू
श्रद्धा सुमन मेरा मैं बेल पतरी, जीवन भी अर्पण कर दू ।।।
हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ, तीनो लोक में तू ही तू


Radhe tere charno ki, Shyama tere charno ki


                                     राधे तेरे चरणो की, श्यामा तेरे चरणो की

राधे तेरे चरणो की, श्यामा तेरे चरणो की, अगर धूल जो मिल जाए,(२)

सच कहता हूँ मेरी(२), तकदीर बदल जाए।
राधे तेरे चरणो की, श्यामा तेरे चरणो की, अगर धूल जो मिल जाए

सुनता हूँ तेरी रेहमत, दिन रात बरसती है,(२)
एक बूँद जो मिल जाए (२), कली जीवन की खिल जाए,

राधे तेरे चरणो की,श्यामा तेरे चरणो की, अगर धूल जो मिल जाए,
राधे तेरे चरणो की, श्यामा तेरे चरणो की।

ये मन बड़ा चंचल है,कैसे तेरा भजन करू,(२)
जितना इसे समझाऊ, जितना इसे समझाऊ, उतना ही मचलता है।

राधे तेरे चरणो की, श्यामा तेरे चरणो की, अगर धूल तो मिल जाए।
राधे तेरे चरणो की, श्यामा तेरे चरणो की।

नज़रो से गिराना ना, चाहे जितनी सजा देना,
नज़रो से गिराना ना,चाहे जितनी सजा देना।

नज़रो से जो गिर जाए, नज़रो से जो गिर जाए,
मुश्किल ही संभल पाए।

राधे तेरे चरणो की, श्यामा तेरे चरणो की, अगर धूल तो मिल जाए।
राधे तेरे चरणो की, श्यामा तेरे चरणो की।

राधे इस जीवन की,बस एक तम्मना है (२)
तुम सामने हो मेरे, तुम सामने हो मेरे।
मेरा दम ही निकल जाए।

राधे तेरे चरणो की, श्यामा तेरे चरणो की, अगर धूल तो मिल जाए।
राधे तेरे चरणो की, श्यामा तेरे चरणो की।



Saturday, 9 September 2017


हे अर्जुन! मेरे जन्म और कर्म दिव्य अर्थात निर्मल और अलौकिक हैं- इस प्रकार जो मनुष्य तत्व से (सर्वशक्तिमान, सच्चिदानन्दन परमात्मा अज, अविनाशी और सर्वभूतों के परम गति तथा परम आश्रय हैं, वे केवल धर्म को स्थापन करने और संसार का उद्धार करने के लिए ही अपनी योगमाया से सगुणरूप होकर प्रकट होते हैं। इसलिए परमेश्वर के समान सुहृद्, प्रेमी और पतितपावन दूसरा कोई नहीं है, ऐसा समझकर जो पुरुष परमेश्वर का अनन्य प्रेम से निरन्तर चिन्तन करता हुआ आसक्तिरहित संसार में बर्तता है, वही उनको तत्व से जानता है।) जान लेता है, वह शरीर को त्याग कर फिर जन्म को प्राप्त नहीं होता, किन्तु मुझे ही प्राप्त होता है

Saturday, 2 September 2017

काम, क्रोध तथा लोभ- ये तीन प्रकार के नरक के द्वार ( सर्व अनर्थों के मूल और नरक की प्राप्ति में हेतु होने से यहाँ काम, क्रोध और लोभ को 'नरक के द्वार' कहा है) आत्मा का नाश करने वाले अर्थात्‌ उसको अधोगति में ले जाने वाले हैं। अतएव इन तीनों को त्याग देना चाहिए
दोहा:
* प्रथमहिं देवन्ह गिरि गुहा राखेउ रुचिर बनाइ।
राम कृपानिधि कछु दिन बास करहिंगे आइ॥12॥
भावार्थ:-देवताओं ने पहले से ही उस पर्वत की एक गुफा को सुंदर बना (सजा) रखा था। उन्होंने सोच रखा था कि कृपा की खान श्री रामजी कुछ दिन यहाँ आकर निवास करेंगे॥12॥
चौपाई:
* सुंदर बन कुसुमित अति सोभा। गुंजत मधुप निकर मधु लोभा॥
कंद मूल फल पत्र सुहाए। भए बहुत जब ते प्रभु आए॥1॥
भावार्थ:-सुंदर वन फूला हुआ अत्यंत सुशोभित है। मधु के लोभ से भौंरों के समूह गुंजार कर रहे हैं। जब से प्रभु आए, तब से वन में सुंदर कन्द, मूल, फल और पत्तों की बहुतायत हो गई॥1॥
* देखि मनोहर सैल अनूपा। रहे तहँ अनुज सहित सुरभूपा॥
मधुकर खग मृग तनु धरि देवा। करहिं सिद्ध मुनि प्रभु कै सेवा॥2॥
भावार्थ:-मनोहर और अनुपम पर्वत को देखकर देवताओं के सम्राट् श्री रामजी छोटे भाई सहित वहाँ रह गए। देवता, सिद्ध और मुनि भौंरों, पक्षियों और पशुओं के शरीर धारण करके प्रभु की सेवा करने लगे॥2॥
* मंगलरूप भयउ बन तब ते। कीन्ह निवास रमापति जब ते॥
फटिक सिला अति सुभ्र सुहाई। सुख आसीन तहाँ द्वौ भाई॥3॥
भावार्थ:-जब से रमापति श्री रामजी ने वहाँ निवास किया तब से वन मंगलस्वरूप हो गया। सुंदर स्फटिक मणि की एक अत्यंत उज्ज्वल शिला है, उस पर दोनों भाई सुखपूर्वक विराजमान हैं॥3॥
* कहत अनुज सन कथा अनेका। भगति बिरत नृपनीति बिबेका॥
बरषा काल मेघ नभ छाए। गरजत लागत परम सुहाए॥4॥
भावार्थ:-श्री राम छोटे भाई लक्ष्मणजी से भक्ति, वैराग्य, राजनीति और ज्ञान की अनेकों कथाएँ कहते हैं। वर्षाकाल में आकाश में छाए हुए बादल गरजते हुए बहुत ही सुहावने लगते हैं॥4॥
दोहा:
* लछिमन देखु मोर गन नाचत बारिद पेखि।
गृही बिरति रत हरष जस बिष्नुभगत कहुँ देखि॥13॥
भावार्थ:-(श्री रामजी कहने लगे-) हे लक्ष्मण! देखो, मोरों के झुंड बादलों को देखकर नाच रहे हैं जैसे वैराग्य में अनुरक्त गृहस्थ किसी विष्णुभक्त को देखकर हर्षित होते हैं॥13॥
चौपाई:
* घन घमंड नभ गरजत घोरा। प्रिया हीन डरपत मन मोरा॥
दामिनि दमक रह नघन माहीं। खल कै प्रीति जथा थिर नाहीं॥1॥
भावार्थ:-आकाश में बादल घुमड़-घुमड़कर घोर गर्जना कर रहे हैं, प्रिया (सीताजी) के बिना मेरा मन डर रहा है। बिजली की चमक बादलों में ठहरती नहीं, जैसे दुष्ट की प्रीति स्थिर नहीं रहती॥1॥
* बरषहिं जलद भूमि निअराएँ। जथा नवहिं बुध बिद्या पाएँ।
बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे। खल के बचन संत सह जैसें॥2॥
भावार्थ:-बादल पृथ्वी के समीप आकर (नीचे उतरकर) बरस रहे हैं, जैसे विद्या पाकर विद्वान्‌ नम्र हो जाते हैं। बूँदों की चोट पर्वत कैसे सहते हैं, जैसे दुष्टों के वचन संत सहते हैं॥2॥
* छुद्र नदीं भरि चलीं तोराई। जस थोरेहुँ धन खल इतराई॥
भूमि परत भा ढाबर पानी। जनु जीवहि माया लपटानी॥3॥
भावार्थ:-छोटी नदियाँ भरकर (किनारों को) तुड़ाती हुई चलीं, जैसे थोड़े धन से भी दुष्ट इतरा जाते हैं। (मर्यादा का त्याग कर देते हैं)। पृथ्वी पर पड़ते ही पानी गंदला हो गया है, जैसे शुद्ध जीव के माया लिपट गई हो॥3॥
* समिटि समिटि जल भरहिं तलावा। जिमि सदगुन सज्जन पहिं आवा॥
सरिता जल जलनिधि महुँ जोई। होइ अचल जिमि जिव हरि पाई॥4॥
भावार्थ:-जल एकत्र हो-होकर तालाबों में भर रहा है, जैसे सद्गुण (एक-एककर) सज्जन के पास चले आते हैं। नदी का जल समुद्र में जाकर वैसे ही स्थिर हो जाता है, जैसे जीव श्री हरि को पाकर अचल (आवागमन से मुक्त) हो जाता है॥4॥
दोहा:
* हरित भूमि तृन संकुल समुझि परहिं नहिं पंथ।
जिमि पाखंड बाद तें गुप्त होहिं सदग्रंथ॥14॥
भावार्थ:-पृथ्वी घास से परिपूर्ण होकर हरी हो गई है, जिससे रास्ते समझ नहीं पड़ते। जैसे पाखंड मत के प्रचार से सद्ग्रंथ गुप्त (लुप्त) हो जाते हैं॥14॥
चौपाई:
* दादुर धुनि चहु दिसा सुहाई। बेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई॥
नव पल्लव भए बिटप अनेका। साधक मन जस मिलें बिबेका॥1॥
भावार्थ:-चारों दिशाओं में मेंढकों की ध्वनि ऐसी सुहावनी लगती है, मानो विद्यार्थियों के समुदाय वेद पढ़ रहे हों। अनेकों वृक्षों में नए पत्ते आ गए हैं, जिससे वे ऐसे हरे-भरे एवं सुशोभित हो गए हैं जैसे साधक का मन विवेक (ज्ञान) प्राप्त होने पर हो जाता है॥1॥
* अर्क जवास पात बिनु भयऊ। जस सुराज खल उद्यम गयऊ॥
खोजत कतहुँ मिलइ नहिं धूरी। करइ क्रोध जिमि धरमहि दूरी॥2॥
भावार्थ:-मदार और जवासा बिना पत्ते के हो गए (उनके पत्ते झड़ गए)। जैसे श्रेष्ठ राज्य में दुष्टों का उद्यम जाता रहा (उनकी एक भी नहीं चलती)। धूल कहीं खोजने पर भी नहीं मिलती, जैसे क्रोध धर्म को दूर कर देता है। (अर्थात्‌ क्रोध का आवेश होने पर धर्म का ज्ञान नहीं रह जाता)॥2॥
* ससि संपन्न सोह महि कैसी। उपकारी कै संपति जैसी॥
निसि तम घन खद्योत बिराजा। जनु दंभिन्ह कर मिला समाजा॥3॥
भावार्थ:-अन्न से युक्त (लहराती हुई खेती से हरी-भरी) पृथ्वी कैसी शोभित हो रही है, जैसी उपकारी पुरुष की संपत्ति। रात के घने अंधकार में जुगनू शोभा पा रहे हैं, मानो दम्भियों का समाज आ जुटा हो॥3॥
* महाबृष्टि चलि फूटि किआरीं। जिमि सुतंत्र भएँ बिगरहिं नारीं॥
कृषी निरावहिं चतुर किसाना। जिमि बुध तजहिं मोह मद माना॥4॥
भावार्थ:-भारी वर्षा से खेतों की क्यारियाँ फूट चली हैं, जैसे स्वतंत्र होने से स्त्रियाँ बिगड़ जाती हैं। चतुर किसान खेतों को निरा रहे हैं (उनमें से घास आदि को निकालकर फेंक रहे हैं।) जैसे विद्वान्‌ लोग मोह, मद और मान का त्याग कर देते हैं॥4॥
* देखिअत चक्रबाक खग नाहीं। कलिहि पाइ जिमि धर्म पराहीं॥
ऊषर बरषइ तृन नहिं जामा। जिमि हरिजन हियँ उपज न कामा॥5॥
भावार्थ:-चक्रवाक पक्षी दिखाई नहीं दे रहे हैं, जैसे कलियुग को पाकर धर्म भाग जाते हैं। ऊसर में वर्षा होती है, पर वहाँ घास तक नहीं उगती। जैसे हरिभक्त के हृदय में काम नहीं उत्पन्न होता॥5॥
* बिबिध जंतु संकुल महि भ्राजा। प्रजा बाढ़ जिमि पाइ सुराजा॥
जहँ तहँ रहे पथिक थकि नाना। जिमि इंद्रिय गन उपजें ग्याना॥6॥
भावार्थ:-पृथ्वी अनेक तरह के जीवों से भरी हुई उसी तरह शोभायमान है, जैसे सुराज्य पाकर प्रजा की वृद्धि होती है। जहाँ-तहाँ अनेक पथिक थककर ठहरे हुए हैं, जैसे ज्ञान उत्पन्न होने पर इंद्रियाँ (शिथिल होकर विषयों की ओर जाना छोड़ देती हैं)॥6॥
दोहा:
* कबहुँ प्रबल बह मारुत जहँ तहँ मेघ बिलाहिं।
जिमि कपूत के उपजें कुल सद्धर्म नसाहिं॥15 क॥
भावार्थ:-कभी-कभी वायु बड़े जोर से चलने लगती है, जिससे बादल जहाँ-तहाँ गायब हो जाते हैं। जैसे कुपुत्र के उत्पन्न होने से कुल के उत्तम धर्म (श्रेष्ठ आचरण) नष्ट हो जाते हैं॥15 (क)॥
* कबहु दिवस महँ निबिड़ तम कबहुँक प्रगट पतंग।
बिनसइ उपजइ ग्यान जिमि पाइ कुसंग सुसंग॥15ख॥

भावार्थ:-कभी (बादलों के कारण) दिन में घोर अंधकार छा जाता है और कभी सूर्य प्रकट हो जाते हैं। जैसे कुसंग पाकर ज्ञान नष्ट हो जाता है और सुसंग पाकर उत्पन्न हो जाता है॥15 (ख)॥

Saturday, 26 August 2017

* भगतिहि ग्यानहि नहिं कछु भेदा। उभय हरहिं भव संभव खेदा॥
नाथ मुनीस कहहिं कछु अंतर। सावधान सोउ सुनु बिहंगबर॥7॥
भावार्थ:-भक्ति और ज्ञान में कुछ भी भेद नहीं है। दोनों ही संसार से उत्पन्न क्लेशों को हर लेते हैं। हे नाथ! मुनीश्वर इनमें कुछ अंतर बतलाते हैं। हे पक्षीश्रेष्ठ! उसे सावधान होकर सुनिए॥7॥

Sunday, 20 August 2017

जो पुरुष अन्तरात्मा में ही सुखवाला है, आत्मा में ही रमण करने वाला है तथा जो आत्मा में ही ज्ञान वाला है, वह सच्चिदानन्दघन परब्रह्म परमात्मा के साथ एकीभाव को प्राप्त सांख्य योगी शांत ब्रह्म को प्राप्त होता है

Saturday, 5 November 2016

Santat japat shambu avinashi, Shiv bhagwan gyan gun rashi

नाथ एक संसउ बड़ मोरे ! करगत बेदतत्त्व सबु तोरे ||

कहत सो मोहि लागत भय लाजा | जौ न कहउँ बड़ होइ अकाजा ||

भरद्वाज जी याज्ञवल्क जी से बोले हे नाथ ! मेरे मन में एक बड़ा संदेह है, वेदों का तत्व सब आपकी मुठ्ठी में है पर उस संदेह को कहते मुझे भय और लाज आती है और यदि नहीं कहता हु तो बड़ी हानि होती है |

संतत जपत संभु अबिनासी | सिव भगवान ज्ञान गुन रासी ||

कल्याण स्वरुप, ज्ञान और गुणों की राशि, अविनाशी भगवान शम्भू निरंतर राम नाम का जप करते रहते हैं |

एक राम अवधेस कुमारा | तिन्ह कर चरित बिदित संसारा ||

नारी बिरह दुखु लहेउ अपरा | भयउ रोषू रन रावनु मारा ||

एक राम तो अवध नरेश दशरथ जी के कुमार हैं, उनका चरित्र सारा संसार जानता है | उन्होंने स्त्री के विरह में अपार दुःख उठाया और क्रोध आने पर युद्ध में रावण को मारा | 

प्रभु सोई राम कि अपर कोउ जाहि जपत त्रिपुरारि| सत्यधाम सर्बग्य तुम्ह कहहु बिबेकु बिचारि ||

हे प्रभो ! वही राम हैं या और कोई दूसरे हैं, जिनको शिवजी जपते हैं? आप सत्य के धाम हैं और सब कुछ जानते हैं, ज्ञान विचार कर कहिए ||

Sunday, 25 September 2016

Meri naiya mein laxman ram o ganga maiya dheere baho



मेरी नैया में लक्ष्मण राम ओ गंगा मैया धीरे बहो (२)
कौन की है नैया कौन की है गंगा (२) और कौन के हैं लक्ष्मण राम 
मेरी नैया में लक्ष्मण राम ओ गंगा मैया धीरे बहो (२)
केवट की नैया भगीरथ की गंगा (२) राजा दशरथ के लक्ष्मण राम 
मेरी नैया में लक्ष्मण राम ओ गंगा मैया धीरे बहो (२)
काहे आई नैया काहे आयी गंगा (२) काहे आये हैं लक्ष्मण राम 
गंगा मैया धीरे बहो (२)
पार करे नैया पाप हरे गंगा (२) भक्त हित आये लक्ष्मण राम 
मेरी नैया में लक्ष्मण राम ओ गंगा मैया धीरे बहो (२)

Monday, 15 August 2016

Shyaam teri bansi baje dheere dheere,lala teri murli baje dheere dheere


श्याम तेरी वंशी बजे धीरे धीरे (२) लाला तेरी मुरली बजे धीरे धीरे (२)
इत में मनसुख उत में धनसुख (२) बीच में कन्हैया चलें धीरे धीरे (२)

श्याम तेरी वंशी बजे धीरे धीरे, बजे धीरे धीरे श्री यमुना के तीरे (२)
श्याम तेरी वंशी बजे धीरे धीरे, लाला तेरी मुरली बजे धीरे धीरे

इत में ललिता उत में विशाखा (२) बीच में राधा चलें धीरे धीरे (२)
श्याम तेरी वंशी बजे धीरे धीरे, लाला तेरी मुरली बजे धीरे धीरे

इत में मथुरा उत में गोकुल (२) बीच में यमुना बहें धीरे धीरे (२)
श्याम तेरी वंशी बजे धीरे धीरे, लाला तेरी मुरली बजे धीरे धीरे

इत में नन्दगांव उत में बरसानो (२) बीच में गैयाँ चरे धीरे धीरे (२)
श्याम तेरी वंशी बजे धीरे धीरे, लाला तेरी मुरली बजे धीरे धीरे

हम सब तेरे द्वार पे आये (२) हम को भी दर्शन मिले धीरे धीरे (२)
श्याम तेरी वंशी बजे धीरे धीरे, लाला तेरी मुरली बजे धीरे धीरे

Sunday, 14 August 2016

Aao meri sakhiyo mujhe mehndi laga do, Mehndi laga do mujhe sunder saza do


रुक्मिणी जी कहती हैं :
ऐसे वर को क्या वरू, जो जन्मे और मर जाये 
वरिये गिरिधर लाल को, जुड़ल्यो अमर होइ जाये 
आओ मेरी सखियो मुझे मेहदी लगा दो (२) मेहदी लगा दो मुझे सुन्दर सजा दो (२)
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो (२) 

सत्संग में मेरी बात चलायी (२) सतगुरु ने मेरी किन्ही रे सगाई (२)
उनको बुला के हथलेवा तो करा दो (२) मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो (२) 

आओ मेरी सखियो मुझे मेहदी लगा दो (२) मेहदी लगा दो मुझे सुन्दर सजा दो (२)
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो (२) 

ऐसी ओढु चुनरी जो रंग नाहीं छूटे (२) इस वरू दूल्हा जो कबहुँ न छूटे (२) 
आज मेरी मोतियों से मांग भरा दो (२) मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो (२) 

आओ मेरी सखियो मुझे मेहदी लगा दो (२) मेहदी लगा दो मुझे सुन्दर सजा दो (२)
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो (२) 



Tuesday, 21 June 2016

श्री कृष्ण कहते हैं: जिन्होंने अपना मन नहीं जीता वो निश्चय नहीं ले पाते


श्री कृष्ण कहते हैं: जिन्होंने अपना मन नहीं जीता वो निश्चय नहीं ले पाते और उस नालायक इंसान के मन में भावना भी नहीं होती तथा भावना के बिना इंसान को सुख कैसे मिल सकता है?
जैसे पानी में चलने वाली नाव को हवा मोड़ देती है वैसे ही विषयों में डूबा हुआ मन इस नालायक इंसान की बुद्धि को मोड़ देता है, इसलिए हे अर्जुन ! जिस इंसान का मन कामनाओ में और मोह में नहीं है उसका मन एक जगह रुका रहता है| 

Sunday, 19 June 2016

Ye to prem ki baat hai uddho,bandgi tere bas ki nahi hai



ये तो प्रेम की बात है उधौ (२) बंदगी तेरे वश की नहीं है (२)
यहाँ सर दे के होते हैं सौदे (२) आशिकी इतनी सस्ती नहीं है (२)
ये तो प्रेम की बात है उधौ
प्रेम वालों ने कब वक्त पूंछा, उनकी पूजा में सुन ले ऐ उधौ (२)
यहाँ दम दम में होती है पूजा, सर झुकाने की फुर्सत नहीं है (२)
ये तो प्रेम की बात है उधौ
जो असल में हैं मस्ती में डूबे, उन्हें क्या परवाह जिंदगी की (२) 
जो उतरती है चढ़ती है मस्ती (२) वो हकीकत में मस्ती नहीं है (२)
ये तो प्रेम की बात है उधौ
जिनकी नज़रों में हैं श्याम प्यारे, वो तो रहते हैं जग से नियारे (२)
जिनकी नज़रों में मोहन समाये (२) वो नज़र फिर तरसती नहीं है (२)
ये तो प्रेम की बात है उधौ, बंदगी तेरे वश की नहीं है
यहाँ सर दे के होते हैं सौदे (२) आशिकी इतनी सस्ती नहीं है (२)
ये तो प्रेम की बात है उधौ (२)
उधौ सुधो है चल्यो सुन गोपिन के बोल (२) ज्ञान बजायी दुमदुमी और प्रेम बजायो ढोल
ये तो प्रेम की बात है उधौ (२) 

Saturday, 18 June 2016

jai jai girbarraj kishori,jai mahesh mukh chand chakori


गई भवानी भवन बहोरी | बंदि चरन बोली कर जोरी ||
सीताजी भवानीजी के मंदिरमें में गयीं और उनके चरणों की वंदना करके हाथ जोड़कर बोलीं -

जय जय गिरिबरराज किसोरी | जय महेस मुख चंद चकोरी ||
जय गजबदन षडानन माता | जगत जननि दामिनि दुति गाता ||

हे श्रेष्ठ पर्वतों के राजा हिमाचल की पुत्री पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो; हे महादेवजी के मुखरूपी चन्द्रमा की ओर टकटकी लगाकर देखनेवाली चकोरी ! आपकी जय हो; हे हाथीके मुखवाले गणेशजी और छह मुखवाले स्वामी कार्तिक जी की माता ! हे जगतजननी ! हे बिजली की सी कांति युक्त शरीरवाली ! आपकी जय हो !

नहि तव आदि मध्य अवसाना | अमित प्रभाऊ बेदु नहि जाना |
भव भव बिभव पराभव कारिनि | बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि ||

आपका न आदि है, न मध्य है और न अंत है | आपके असीम प्रभाव को वेद भी नही जानते | आप संसार को उत्पन्न, पालन और नाश करनेवाली हैं | विश्व को मोहित करनेवाली और स्वतंत्र रूपसे विहार करनेवाली हैं ||

Sunday, 12 June 2016

I want that ten thousand ear by that I can listen your (The God) story regularly


When Prathu ji taken charge then first problem was of food, so he angrily called the earth. The earth came as a cow and said why are angry on me, it is the result of bad things done by your ancestors, I am so sad, there is violence everywhere. Then Prathu ji started good habits and made earth happy and made arrangement of food for his people and make decision of doing hundred time worship, then the God came to him and said, what do you want? He asked for ten thousand ears, the God said, two ears are enough to hear bad things. Prathu ji said, I want that ten thousand ear by that I can listen your story regularly.
पृथु जी जब गद्दी पर बैठे तो उनके सामने पहली परेशानी आई अन्न की, तो अपना धनुष और तीर लेके पृथ्वी तो ताड़ना दी, तब पृथ्वी गौ रूप धारण करके आई और कहा महाराज इसमें मेरा कोई अपराध नहीं है आप मेरे से इतना गुस्सा मत होइए, ये तो आप के पूर्वजो ने इतना पाप किया है उससे मेरे अंदर से बीज नष्ट हो गया है, मैं बहुत परेशान हूँ हर जगह हिंसा है पाप है| तो पृथ्वी की बात सुनकरके पृथु जी ने पृथ्वी का दोहन किया, पृथ्वी को प्रसन्न किया और अपनी प्रजा के लिए सुन्दर रहने खाने की व्यवस्था की फिर सौ अष्वमेध यज्ञ करने की प्रतिज्ञा की पर सौ अष्वमेध यज्ञ इंद्र किसी को पूरे नहीं करने देता है इसलिए बार बार इंद्र इनके यज्ञ में बाधा कर देता| ये बात पृथु जी को अच्छी नहीं लगी तो इन्होने इंद्र को मारने के लिए जब शस्त्र उठाया तब वृहस्पति जी आये और कहा पृथु जी आपकी ईक्षा तो सिर्फ भगवान को प्रसन्न करना है तो आप एक यज्ञ छोड़ दें निन्यानवे यज्ञ करें उससे भगवान प्रसन्न होंगे तब इन्होने 99 यज्ञ किये और इन्हें सौ यज्ञों का फल मिला और यज्ञ नारायण भगवान प्रगट हो गए| यज्ञ नारायण भगवान ने कहा पृथु जी आप हम से वर मांगे तब पृथु जी ने वरदान में दस हज़ार कान मांगे तब भगवान ने कहा इन दो कानो से ही बहुत बुराई सुनाने को मिल जाती है दस हज़ार का क्या करोगे, पृथु जी ने कहा भगवान मुझे निंदा सुनने वाले कान नहीं चाहिए, मुझे तो वो कान चाहिए जिससे मैं आप की कथा लगातार सुनता रहूं क्योंकि कथा ही एक ऐसी है जो हमें भगवान को भूलने नहीं देती तब भगवान ने इन कानो में दस हज़ार कानो की शक्ति दी