नाथ एक संसउ बड़ मोरे ! करगत बेदतत्त्व सबु तोरे ||
कहत सो मोहि लागत भय लाजा | जौ न कहउँ बड़ होइ अकाजा ||
भरद्वाज जी याज्ञवल्क जी से बोले हे नाथ ! मेरे मन में एक बड़ा संदेह है, वेदों का तत्व सब आपकी मुठ्ठी में है पर उस संदेह को कहते मुझे भय और लाज आती है और यदि नहीं कहता हु तो बड़ी हानि होती है |
संतत जपत संभु अबिनासी | सिव भगवान ज्ञान गुन रासी ||
कल्याण स्वरुप, ज्ञान और गुणों की राशि, अविनाशी भगवान शम्भू निरंतर राम नाम का जप करते रहते हैं |
एक राम अवधेस कुमारा | तिन्ह कर चरित बिदित संसारा ||
नारी बिरह दुखु लहेउ अपरा | भयउ रोषू रन रावनु मारा ||
एक राम तो अवध नरेश दशरथ जी के कुमार हैं, उनका चरित्र सारा संसार जानता है | उन्होंने स्त्री के विरह में अपार दुःख उठाया और क्रोध आने पर युद्ध में रावण को मारा |
प्रभु सोई राम कि अपर कोउ जाहि जपत त्रिपुरारि| सत्यधाम सर्बग्य तुम्ह कहहु बिबेकु बिचारि ||
हे प्रभो ! वही राम हैं या और कोई दूसरे हैं, जिनको शिवजी जपते हैं? आप सत्य के धाम हैं और सब कुछ जानते हैं, ज्ञान विचार कर कहिए ||
कहत सो मोहि लागत भय लाजा | जौ न कहउँ बड़ होइ अकाजा ||
भरद्वाज जी याज्ञवल्क जी से बोले हे नाथ ! मेरे मन में एक बड़ा संदेह है, वेदों का तत्व सब आपकी मुठ्ठी में है पर उस संदेह को कहते मुझे भय और लाज आती है और यदि नहीं कहता हु तो बड़ी हानि होती है |
संतत जपत संभु अबिनासी | सिव भगवान ज्ञान गुन रासी ||
कल्याण स्वरुप, ज्ञान और गुणों की राशि, अविनाशी भगवान शम्भू निरंतर राम नाम का जप करते रहते हैं |
एक राम अवधेस कुमारा | तिन्ह कर चरित बिदित संसारा ||
नारी बिरह दुखु लहेउ अपरा | भयउ रोषू रन रावनु मारा ||
एक राम तो अवध नरेश दशरथ जी के कुमार हैं, उनका चरित्र सारा संसार जानता है | उन्होंने स्त्री के विरह में अपार दुःख उठाया और क्रोध आने पर युद्ध में रावण को मारा |
प्रभु सोई राम कि अपर कोउ जाहि जपत त्रिपुरारि| सत्यधाम सर्बग्य तुम्ह कहहु बिबेकु बिचारि ||
हे प्रभो ! वही राम हैं या और कोई दूसरे हैं, जिनको शिवजी जपते हैं? आप सत्य के धाम हैं और सब कुछ जानते हैं, ज्ञान विचार कर कहिए ||
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