Monday, 11 May 2020

Shyam tere kaam bade achraj bhare,krishna gopal govind madhav hare

श्याम तेरे काम बड़े अचरज भरे [२] कृष्ण गोपाल गोविन्द माधव हरे [२]
नाथ तू तो जनम का चोर है तेरी लीला का ओर न छोर है
आधी रात को चोरी चोरी बंदीगृह में आया चोरी चुपके सबसे चुपके गोकुल धाम को धाया
अपने ही घर चोरी करके माखन तूने खाया, हो--- और फिर चोरी करना सारे ग्वालो को सिखलाया
अरे हो ----- जमुना के तट पे सखियों के तूने चीर चुराए, ढीठ अनाड़ी, छलिया झूठा प्रेम की ग्वाली खाये
सखियों ने, तेरी सखियों नाम तेरे क्या क्या धरे, चोरी करे और बरजोरी करे, कृष्ण गोपाल गोविन्द माधव हरे [२] श्याम तेरे काम बड़े अचरज भरे
अरे हो ------ नाग कालिया को मथ डाला फन पे किआ तूने नर्तन, ब्रज की रक्षा हेतु उठा लिया ऊँगली पे गोवर्धन
औ जय जय गोवर्धन गिरधारी [२] इन्द्र और ब्रम्हा के मान भी हरे [२] कृष्ण गोपाल गोविन्द माधव हरे [२] श्याम तेरे काम बड़े अचरज भरे
की बल रूप में माखन लीला, भक्तों का हृदय रिझाने को, छछिया भर छाछ पे नाच उठे ममता को मोल चुकाने को, बरसाने वाली राधा से मन बांधा रस बरसाने को, दो अमर प्रेमी धरती पे मिले यहाँ प्रेम की जोत जगाने को
इक जसोदा को फूल गुलाबी [२] इक वृषभान की काची कली मनमोहन लला मनभावनी लली, ओ मनमोहन लला मनभावनी लली
इक माखन हो इक माखन इक मिश्री की डली मनमोहन लला मनभावनी लली, ओ मनमोहन लला मनभावनी लली
कोई न जाने कोई न बुझे [२] इनमे कबकी प्रीत पली , मनमोहन लला मनभावनी लली
श्याम तेरे काम बड़े अचरज भरे, कृष्ण गोपाल गोविन्द माधव हरे [२]

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