When Prathu ji taken charge then first problem was of food,
so he angrily called the earth. The earth came as a cow and said why are angry
on me, it is the result of bad things done by your ancestors, I am so sad,
there is violence everywhere. Then Prathu ji started good habits and made earth
happy and made arrangement of food for his people and make decision of doing
hundred time worship, then the God came to him and said, what do you want? He asked
for ten thousand ears, the God said, two ears are enough to hear bad things.
Prathu ji said, I want that ten thousand ear by that I can listen your story
regularly.
पृथु जी जब
गद्दी पर बैठे
तो उनके सामने
पहली परेशानी आई
अन्न की, तो
अपना धनुष और
तीर लेके पृथ्वी
तो ताड़ना दी,
तब पृथ्वी गौ
रूप धारण करके
आई और कहा
महाराज इसमें मेरा कोई
अपराध नहीं है
आप मेरे से
इतना गुस्सा मत
होइए, ये तो
आप के पूर्वजो
ने इतना पाप
किया है उससे
मेरे अंदर से
बीज नष्ट हो
गया है, मैं
बहुत परेशान हूँ
हर जगह हिंसा
है पाप है|
तो पृथ्वी की
बात सुनकरके पृथु
जी ने पृथ्वी
का दोहन किया,
पृथ्वी को प्रसन्न
किया और अपनी
प्रजा के लिए
सुन्दर रहने खाने
की व्यवस्था की
फिर सौ अष्वमेध
यज्ञ करने की
प्रतिज्ञा की पर
सौ अष्वमेध यज्ञ
इंद्र किसी को
पूरे नहीं करने
देता है इसलिए
बार बार इंद्र
इनके यज्ञ में
बाधा कर देता|
ये बात पृथु
जी को अच्छी
नहीं लगी तो
इन्होने इंद्र को मारने
के लिए जब
शस्त्र उठाया तब वृहस्पति
जी आये और
कहा पृथु जी
आपकी ईक्षा तो
सिर्फ भगवान को
प्रसन्न करना है
तो आप एक
यज्ञ छोड़ दें
निन्यानवे यज्ञ करें
उससे भगवान प्रसन्न
होंगे तब इन्होने
99 यज्ञ किये और
इन्हें सौ यज्ञों
का फल मिला
और यज्ञ नारायण
भगवान प्रगट हो
गए| यज्ञ नारायण
भगवान ने कहा
पृथु जी आप
हम से वर
मांगे तब पृथु
जी ने वरदान
में दस हज़ार
कान मांगे तब
भगवान ने कहा
इन दो कानो
से ही बहुत
बुराई सुनाने को
मिल जाती है
दस हज़ार का
क्या करोगे, पृथु
जी ने कहा
भगवान मुझे निंदा
सुनने वाले कान
नहीं चाहिए, मुझे
तो वो कान
चाहिए जिससे मैं
आप की कथा
लगातार सुनता रहूं क्योंकि
कथा ही एक
ऐसी है जो
हमें भगवान को
भूलने नहीं देती
तब भगवान ने
इन कानो में
दस हज़ार कानो
की शक्ति दी|
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