Wednesday, 9 October 2019

Man mathura aur tan vrindavan



मन मथुरा और तन वृन्दावन  (२)
नैन बहे यमुना जल पावन।

रोम रोम है गोपी ग्वाला
धड़कन जपति निस दिन माला

रोम रोम है गोपी ग्वाला
धड़कन जपति निस दिन माला।
वृन्दावन की कूंज गली के
प्राण तुम्ही तो हो नंदलाला।
साँसों में मुरली की सरगम,ये जीवन है तेरे कारण।

मन मथुरा और तन वृन्दावन  (२)
नैन बहे यमुना जल पावन।

हांड मॉस की इस हांड़ी में, प्रेम भक्ति का कर दो मंथन।
ये नवनीत तू चराने आना, दे जाना तू तेरा दर्शन।
मन कि मनके पिरो पिरो कर, निसदिन करती तेरा सुमिरन।

मन मथुरा और तन वृन्दावन  (२)
नैन बहे यमुना जल पावन।

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