Friday, 12 June 2020

Tapasi ka vesh dhar ke bhagwan van chale, dekha pita ne roop to aansu nikal pade

तपसी का वेश धरके, भगवन वन चले [२]
देखा पिता ने रूप तो आंसू निकल पड़े [२]
रथ में बिठा के राम को चल तो दिए सुमंत [२]
खींची जो रास रोस में, घोड़े मचल पड़े [२]
तपसी का वेश धरके, भगवन वन चले [२]
छोड़ा लोगों के घर को, प्रभु के संग चले [२]
रोका जब सबको राम ने, सब जान रो पड़े [२]
तपसी का वेश धरके, भगवन वन चले [२]
देखा पिता ने रूप तो आंसू निकल पड़े [२]

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