Saturday, 4 June 2016

Dur nagari badi dur nagari, kaise aau me kanha teri gokul nagari badi dur nagari


दूर नगरी बड़ी दूर नगरी (२) कैसे आऊं मैं कन्हाई (२) तोरी गोकुल नगरी बड़ी दूर नगरी 
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी (२)
रात को आऊं कान्हा डर मोहे लागे (२) दिन को आऊं तो देखे सारी नगरी, दूर नगरी बड़ी दूर नगरी
[ ये अज्ञान की रात्रि है, साधक संकेत कर रहा है की हे प्रभु, कभी अविद्या है, कभी राग है, कभी द्वेष है, कैसे आगे बड़े प्रभु, आप ही कोई बल हमें दें ]
सखी संग आऊं कान्हा शर्म मोहे लागे (२) अकेली आऊं तो भूल जाऊं डगरी (२) दूर नगरी बड़ी दूर नगरी (२)
[ क्यूंकि साधना के पथ पर साधक को अकेले ही चलना होता है, वहां दो का संग है ही नहीं ]
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी (२)
धीरे धीरे चलूँ तो कमर मोरी लचके (२) झटपट चलूँ तो छलकाए गगरी (२) दूर नगरी बड़ी दूर नगरी (२)
मीरा के प्रभु गिरधर नागर (२) तुमरे दरश बिन मैं तो हो गई बाबरी (२) दूर नगरी बड़ी दूर नगरी (२)
आओ मनमोहना आओ नन्दनन्दना गोपियों के प्राणधन राधा जी के रमणा (२) 
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी (२)



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