उमा राम सम हित जग माहीं | गुरु पितु मातु बन्धु प्रभु नाहीं ||
सुर नर मुनि सब कै यह रीति | स्वारथ लागि करहिं सब प्रीती ||
There are no well wishing teacher, father, mother, brother, and owner like lord Rama.
All the relations in the world are for purpose only.
शंकर जी कहते हैं, हे पारवती जी ! जगत में श्री राम जी के समान हित करनेवाला गुरु, पिता, माता, बन्धु और स्वामी कोई नहीं है | देवता, मनुष्य और मुनि सबकी यह रीति है कि स्वार्थके लिये ही सब प्रीती करते हैं |
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ReplyDeletevery nice blog sir
ReplyDeleteThanks Krishna
ReplyDeleteThanks Krishna
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