जामवन्त कह सुनु रघुराया | जा पर नाथ करहु तुम्ह दाया |
ताहि सदा सुभ कुसल निरन्तर | सुर नर मुनि प्रसन्न ता ऊपर |
सोई बिजयी बिनई गुन सागर | तासु सुजसु त्रेलोक उजागर |
प्रभु कीं कृपा भयउ सबु काजू | जन्म हमार सुफल भा आजु |
Jaamwant Ji to Shree Raam Ji: To whome you show mercy on, they always get right thing. God, Saint, Human all are happy with him. He always wins, always remains down to earth and becomes ocean of skills. His renown spreads everywhere. All our work completed by your mercy God and our life became successful.
जामवन्त जी कहते हैं - हे रघुनाथ जी ! सुनिये | हे नाथ ! जिसपर आप दया करते हैं, उसका हमेशा सब कुछ अच्छा ही होता है | देवता, मनुष्य और मुनि सभी उसपर प्रसन्न रहते हैं | वह हमेश जीतता है, हमेशा नम्र रहता है और वही गुणों का सागर बन जाता है | उसी का सुन्दर यश सब जगह फैलता है | भगवन आप की कृपा से सब काम हुआ और हमारा जीवन सफल हो गया |
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