क्रोध मनोज लोभ मद माया | छूटहिं सकल राम कीं दाया ||
सो नर इंद्रजाल नहिं भूला | जा पर होइ सो नट अनुकूला ||
उमा कहउँ मैं अनुभव अपना | सत हरि भजनु जगत सब सपना ||
Anger, desires, greed, pride and delusion - all these are left by the mercy of Sri Rama.Nataraja God which he is happy, he does not lose in delusion.
O Uma! I’ll tell you my experience – Hari name is true, the whole world is a dream.
क्रोध, काम, लोभ, मद और माया - ये सभी श्री राम जी की दया से छूट जाते हैं | वह नटराज भगवान जिसपर प्रसन्न होता है, वह मनुष्य माया में नहीं भूलता |
हे उमा ! मैं तुम्हें अपना अनुभव कहता हूँ - हरिका भजन ही सत्य है, यह सारा जगत तो सपना है |
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