Monday, 21 March 2016

नमामिशमीशान निर्वाणरूपं | विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं ||

नमामिशमीशान निर्वाणरूपं | विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं ||

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं | चिदाकाशमाकाशवासं भजेअहम ||

हे मोक्षस्वरूप, विभु, व्यापक, ब्रह्म और वेदस्वरूप, ईशान दिशाके ईश्वर तथा सबके स्वामी श्रीशिवजी ! मैं आपको नमस्कार करता हूँ| निजस्वरूपमे स्थित ( अर्थात मयादिरहित ), भेदरहित, इक्षारहित, चेतन आकाशरूप एवं आकाशको ही वस्त्ररूपमे धारण करनेवाले दिगंबर, आपको मै भजता हूँ|

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं | गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं ||

करालं महाकाल कालं कृपालं | गुणागार संसारपारं नतोअहम ||

निराकार, ओम्कारके मूल, तुरीय ( तीनो गुणोंसे अतीत ), वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलासपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे आप परमेश्वर को मैं नमस्कार करता हूँ|

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