Thursday, 5 May 2016

This poem will be favorite of all with the sweet fame of the Shree Ram

मंगल करनि कलिमल हरनि तुलसी कथा रघुनाथ की |
गति कूर कबिता सरित की ज्यों सरित पावन पाथ की ||
प्रभु सुजस संगति भनिति भलि होइहि सुजन मन भावनी |
भव अंग भूति मसान की सुमिरत सुहावनी पावनि ||

Tulsidas Ji says: Welfare and takes away the sins of Kalyuga, is the story of the Ram. My poem like river's direction is tilt like the pure Gangaji. This poem will be favorite of all with the sweet fame of the Shree Ram. Impure ashes of crematorium becomes very pure when touches with the body of shri Shiv ji. 

तुलसीदास जी कहते हैं कि श्रीरघुनाथजी की कथा कल्याण करने वाली और कलयुग के पापों को हरनेवाली है | मेरी इस भद्दी कविता रूपी नदी की चाल पवित्र जलवाली नदी (गंगाजी) की चाल की तरह टेढ़ी है | प्रभु श्री रघुनाथ जी के सुन्दर यश के संग से यह कविता सुन्दर तथा सज्जनों के मनको अच्छी लगने वाली हो  जाएगी | श्मशान की अपवित्र राख भी श्रीमहादेवजी के अंग के संगसे सुहावनी लगती है और स्मरण करते ही पवित्र करनेवाली होती है |

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