तन सकोचु मन परम ऊछऊ | गूढ़ प्रेमु लखि परइ न काहू ||
जाइ समीप राम छबि देखी | रहि जनु कुअँरि चित्र अवरेखि ||
There is a hesitation in the body of shri Seeta ji, but very excited in the mind. Nobody knowing this secret. Shri Seeta ji became like picture by seeing beauty of the Shri Rama from near.
सीताजी के शरीर में संकोच है, पर मन में परम उत्साह है | उनका यह गुप्त प्रेम किसीको जान नहीं पड़ रहा है | समीप जाकर, श्री राम जी की शोभा देखकर राजकुमारी सीताजी चित्र में लिखी से रह गयीं ||
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