कुसल मूल पद पंकज पेखी | मैं तिहुँ काल कुसल निज लेखी ||
अब प्रभु परम अनुग्रह तोरें | सहित कोटि कुल मंगल मोरें ||
हे प्रभो ! कुशल के मूल आपके चरण कमलों के दर्शन कर मैंने तीनों कालों में अपना कुशल जान लिया | अब आपके परम अनुग्रह से करोड़ों कुलों सहित मेरा मंगल हो गया |
अब प्रभु परम अनुग्रह तोरें | सहित कोटि कुल मंगल मोरें ||
हे प्रभो ! कुशल के मूल आपके चरण कमलों के दर्शन कर मैंने तीनों कालों में अपना कुशल जान लिया | अब आपके परम अनुग्रह से करोड़ों कुलों सहित मेरा मंगल हो गया |
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